Saturday 30 April 2016

Khubsurat Aankhen

आँखों में मैंने उसकी अपनी छवि को पाया है,
बेचैन हो भले कितनी भी पर अपने लिए उसकी आँखों में नमी को पाया है,
आँखों में मैंने उसकी खुद की मदहोशी को है भापा,
और है उसे है मुझसे मोहब्बत इस बात को है जाना ।

आँखों से बातें करना भी क्या नायाब तरीका है,
जुबान होती है खामोश और सिर्फ आँखों को कहना है,
आँखों से आँखों का मिलन सिर्फ आँख ही है देख पाते,
दिल करता है महसूस और होठ खुद को सिले है पाते ।

आँखों की कशिश मोहब्बत का सच्चा प्रमाण है,
दिमाग सकता है बदल पर आँख तो दिल का आइना है,
आँखों ने देखि जहाँ समाज की क्रूरता है,
बसा ले किसी को एक बार तो फिर दगा नहीं देती ।

आँखों के भवर को कुछ मैंने भी किया है महसूस,
लुटाई उसकी आँखों ने भी क्या खूब मोहब्बत ना बनते हुए कंजूस,
आँखों के प्याले में भी एक अजब सा नशा है,
जब खुली हो तो दिखा और बंद हो तो छिपा कर करती प्यार हैं ।

आँखों के मजधार में फस्ने का मौका नसीब वालों को है मिलता,
जिनसे मिल जाएँ आँखें उनकी आँखों में बस्ने का मौका उन्ही नहीं मिलता,
अगर हो जाये कोई आँखें आपको बसने के लिए तैयार,
झोक देना सारा प्यार उन आँखों में सदा रहने के लिए मेरे यार ।


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