Saturday 21 November 2015

Ashrun Ke Ashrun

अश्रु अकसर यूँही मुझ से कुछ बातें कर लेते हैं,
मेरे समक्ष कुछ वो भी बिचारे कुछ रो लेते हैं,
कौन कहता है अश्रु किसी के रोने की प्रतिक्रिया है,
वो तो दिल के भाव हैं जो आँखों से अक्सर निकला करते हैं !

अश्रु आँखों को साफ़ कर दिल को हल्का हैं कर जाते,
वरना सोचिये अगर ये ना निकले तो अंदर ही अंदर हम सब घुट जाते,
मुस्कराहट और रोना तो दो पहलूँ है भावों के,
वरना कोई रो या मुस्कुरा रहा ये हम कैसे समझ पाते !

लकिन अश्रु ही क्योँ बना रोने का प्रतिक,
दिल का दर्द क्योँ बना आँखों के जरिये बहने का रीत,
अश्रु सिर्फ दिल को सहानुभूति नहीं देते ,
उस बुरे समय को जिन आँखों ने है देखा उन्हें भी हैं धो देते !

अश्रु स्वार्थ रहित लगा रहता है इंसान को मजबूत बनाने में,
किसी ने सोचा की क्या होता होगा जब टूट जाते होंगे खुद ये अश्रु इंसान को मानाने में,
अश्रू के अश्रु को कौन पोछता होगा,
 या ये अश्रु कभी भी रोता नहीं होगा !

इस प्रकृति में जो भी है सब काल चक्र के अधीन है,
तो ये अश्रु ना रोये ये नियमों के विपरीत है,जिन
जिन अश्रूयों ने हमारे दर्द को मिटाया है आजतक,
आओ उनकी मुस्कराहट के लिए कुछ करें अन्नंत काल तक !

इंसानियत को मरता देख रो रहे हैं ये अश्रु,
अराजकता को पनपता देख रो रहें हैं ये अश्रु,
अत्याचार को बढ़ता देख रो रहें हैं ये अश्रु,
प्रेम को स्वार्थी होता देख रो रहें हैं ये अश्रु !

हमे आज इन अश्रूयों का कर्ज चुकाना है,
जिन अश्रूयों ने दिया निस्वार्थ हमारा दुःख में साथ उनके लिए कुछ कर जाना है,
क्या हम अराजकता और अत्याचार को मिटा इंसानियत  परिपक्व नहीं कर सकते,
आज के इस मतलबी संसार में भी क्या हम निस्वार्थ एक दूसरे   से प्यार नहीं कर सकते !



Saturday 26 September 2015

Dosti - Ek Anokha Rishta

कसमों कस में थी ज़िन्दगी तो सोचा रब से फ़रियाद करूँ,
कोई ना था साथ तो सोचा किस को याद करूँ,
रब ने सुनी हमारी भी भले कुछ इंतेज़ार के बाद ही सही,
मिलाया एक अनोखे दोस्त से हमे जिसकी दोस्ती लगी हमे बहुत सही ।

दोस्ती की परिभाषा दोस्ती करने के बाद ही समझ है आती,
दोस्त हो खास तो ज़िन्दगी बदल है जाती,
दोस्ती का तोहफा हर किसी को नहीं नवाजते खुदा,
ये तो कर्मों के फलस्वरूप मिलाते हैं या करते है जुदा ।

अंजुमन-ए-महफ़िल में किसी अपने का साथ कुछ खास पल बनाता है,
कोई मिल जाये समझने वाला तो सुनहरे साथ को साक्षत्कार कराता है,
इस मायावी दुनिया में जहाँ अपने साथ छोड़ जाते हैं,
वही ये मिले अपने दोस्त ही हैं जो काम आते हैं ।

दोस्त में कभी दिखे खुदा तो कभी दीखता रब है,
दोस्त मिल जाये जहाँ वही बनता स्वर्ग है,
दोस्त के समक्ष दिल खोल देने में ही जीवन का सार है,
दोस्त ना हो तो जीवन बर्बाद है।

कोई पल नहीं होता जब दोस्त से आपका संगम निर्धारित हो,
वो पल बड़ा खास होता है जब दोस्त से आपका मिलन निर्धारित हो,
दोस्त आपपे जान छिड़के इससे बड़ी कोई सम्पति नहीं,
आप दोस्त के लिए कुछ कर गुजरे इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं ।

दोस्ती को हमने जीवन की उन्मुक्त परिकाष्ठा माना है,
दोस्त के संग बीते जीवन इसी सिद्धांत को सबसे उतकृष्ट माना है,
दोस्ती की परिभाषा दोस्ती के अज़ीज रिश्ते को निभा कर ही है समझी जा सकती,
कितना ही बुरा हो समय दोस्त के संग दोस्ती निभा ज़िन्दगी को बेहतर है बनाई जा सकती 

Sunday 15 February 2015

Dard-e-February

ज़िन्दगी ने कैसे आलम में फसाया मुझको,
जिससे की सबसे ज्यादा मोहब्बत उसी ने दिया धोखा मुझको,
मोहब्बत की अंजुमन में विश्वासघात कहाँ पनाह पाती है,
उसको किसने दिया हक़ जो वो दिल के साथ खिलवाड़ कर जाती है । 

दिल को रोता छोड़ उसकी मुस्कराहट के लिए मैं चल निकला,
उसकी मोहब्बत थी ऐशो-आराम, दौलत और शौहरत, तो उसे उन्ही  छोड़ निकला,
आज़ आया उसका जन्मदिन तो दिल मेरा खून के अश्रु बैठा,
बोल नहीं पा रहा उससे पर दिल मेरा एक बार फिर उससे मोहब्बत कर बैठा । 

उसने भुलाया मुझे अपने ऐशो-आराम के लिए,
तोड़ दिए सारे वादे उसने अपनी ज़िन्दगी को सवारने के लिए,
अंतिम सांस तक दूंगी तेरा साथ ये कह तो गयी थी वो,
फिर मेरे अंतिम सांस लेने का वक़्त धोके से दे गयी वो । 

उसने भुलाया मुझे और अपनी ज़िन्दगी में मसगूल हुई,
आज आया उसका जन्मदिन तो दिल-ऐ हलचल और सुरूर हुई,
वो तो अपने स्वार्थ में  मेरा जन्मदिन भी भुला बैठी,
मोहब्बत  का मजाक बना मुझे वो रुला बैठी । 

उसे किया था वादा की उसकी उमंगो और तर्रक्की के बीच कभी नहीं आऊंगा,
जब तक जरुरत न पड़े उसे मेरी उसको अपना चेहरा कभी न दिखाऊंगा,
लेकिन आज उसके जन्मदिन पे उसे सुभकामनाएँ दू तो दू कैसे,
उसके धोके के लिए कौन सा तौफ़ा दूं तो दूं कैसे । 

अपनी नम आँखों और रोती कलम से उसको जन्मदिन की बधाई देता हूँ ,
फ़रबरी में करती है दुनिया जहाँ मोहब्बत, वही मैं अपनी मोहब्बत को याद करता हूँ,
मेरा तो सब कुछ झीन कुछ देने काबिल ना छोड़ा तूने,
पर अपने रोते दिल से भी तेरी खुशियाँ और ख़ुसनसीबी की कामना करता हूँ । 

Sunday 8 February 2015

Happy Valentines Day 2015

मोहब्बत का मेला देखो फिर झूम के आया है,
ना जाने इस बार कौन सी सौगात लाया है,
हमे तो अपनों के दर्द ने है लूटा,
कैसे मुस्कुराएं जब इतनी गंभीरता से दिल जो है टुटा ।

मोहब्बत पे यकीन बेशुमार लिए घूमते थे,
वो दिन भी था जब हम दिलों में प्यार लिए घूमते थे,
अंजुमन में मरती थी लड़कियां हमसे नैन लड़ाने को,
सबसे नैन चुरा किसी खास के लिए हम अपना दिल धड़कवाते थे ।

ज़िंदगानी से मोहब्बत और मोहब्बत में ज़िंदगानी को तलाशा था हमने,
किसी की बेशुमार मोहब्बत को दिल में बसाना था  अपने,
मोहब्बत की सौगात लिए है हम जन्मे ऐसा माना था हमने,
पर एक पल में दिल तोड़ सब झुटला दिया उन्होंने  ।

किसी को चाहने की इतनी बड़ी सजा एख्तियार हुई,
दिल से निकलेंगे अश्रु ऐसी सजा की फरमान-आत हुई,
हमारी गलती बस उनसे सच्ची मोहब्बत करने की करार हुई,
हम आज भी दिल से रोते हुए मुस्कुराते है, और वो दिल से खिलवाड़ कर फरार हुई ।

अपनी मोहब्बत के बदले हमने बस प्यार ही तो माँगा था,
और ज़िन्दगी भर देंगे एक-दूजे का साथ यही तो हमारा एक-दूसरे से वादा था,
पर धोका देना कैसे फिदरत में आता है आशिक़ों के,
क्या वाकई तररकी, पैसा, रुतबा और ऐशो-आराम की कीमत प्यार से ज्यादा था ।

ये १४  फेब्रुअरी अक्सर मेरे दिल को रुलाती है,
जहाँ मिलते है इस दिन लाखों दिल, वही उसके धोके की याद दिलाती है,
पर अगर भुला दिया मैंने उसे तो उसमे मुझमे क्या फर्क रह जायेगा,
और अगर अपने मतलब  सिर्फ याद किया उसे तो प्यार अपनी सच्चाई बयां कैसे कर पायेगा ।

इस मोहब्बत दिवस पे तुझसे एक वादा करता हूं,
तू छोड़ गयी भले मुझे पर ज़िन्दगी भर तुझसे बेइन्तेआह मोहब्बत का वादा करता हूँ,
तेरा प्यार कच्चा था जो इस मायावी चीजों के मोह में मेरा प्यार तुझसे भुला बैठा,
मेरा प्यार सच्चा है सायद इसीलिए तेरे जाने के बाद भी तुझसे प्यार कर दिखा बैठा ।

मोहब्बत कोई मजाक नहीं जो तू मेरे दिल से खेल मजा ले बैठी,
मोहब्बत वो अश्क है जो मुर्दे में भी जान है फूक बैठती,
तेरे धोके को मैं अपने बेइन्तेआह मोहब्बत से भुलाऊँगा,
नसीबवालों को मिलती है मोहब्बत ये तेरे धोके से मोहब्बत कर मैं तुझे बतलाऊंगा । 

Saturday 3 January 2015

Mohabbat Ka Dard

वो अंजुमन में  हमारी आये कुछ इस कदर,
ज़िन्दगी में उन्होंने हमारे मचा दिया कुछ ऐसा ग़दर,
मोहब्बत की हमसे बस अपने शौक के लिए,
दिल तो तोडा हमारा और हमने पूछा तो मुह मोड़ लिए ।

हम नादान उन्हें अपनी जिंदगी  समझ बैठे थे,
उनके साथ जीवन भर के सपने बुने बैठे थे,
वो हमारे प्यार का मजाक बनाते चले गए इस कदर,
 एक पल भी न सोचा की कैसे जिएंगे हम उनके बगर ।

उनकी मुस्कराहट के लिए हम अपने आंसू भी छुपा बैठे,
वो शौकिया धोखा दे हमे रुला बैठे,
आगाज -ऐ  मोहब्बत पे हमारा विश्स्वास अटल था,
कम्भख्त वो हमारे  मोहब्बत पर विश्वास को ही हिला बैठे ।

आज उनकी ख़ुशी के लिए हमने जिन खुशियों को छोड़ा था,
आज वो उन्ही खुशियों के लिए हमे छोड़ चले,
वो अपनी खुशनुमा ज़िन्दगी में जी रहे है मस्त,
हम आज भी  उनकी  यादों  के सहारे हो रहे पस्त ।

वो भी नहीं जानते की मोहब्बत बार बार नहीं होती,
दिल दुखना आसान है पर टूटे दिल के साथ जीना आम बात नहीं होती,
होगा उनका हुनर दिल को तोड़ खुशियां मानाने का,
लेकिन टूटे दिल से भी धोकेबाज को चाहना ही सच्चे आशिक़ की पहचान है होती ।

दिल से लिए फैसले अक्सर दर्द देते है,
अमीरों की महफ़िल में अक्सर दिलों के खरीद-फरोक होते हैं,
हमे  भी बताना क्या पाया तूने अमीरों की महफ़िल में जाकर,
और हो सके तो समझना हमे भी कभी एक सच्चा आशिक़ बनकर । 

Happy Diwali 2019

दिपक की जगमगाहट आपके पुरे आँगन को उज्जियाये, रोशन करे ज़िंदगानी और खुशनुमा सा बनाये, क्योँकि ये पर्व कोई मामूली पर्व नहीं, है पर्व पुरुषार...