Sunday 27 October 2019

Happy Diwali 2019

दिपक की जगमगाहट आपके पुरे आँगन को उज्जियाये,
रोशन करे ज़िंदगानी और खुशनुमा सा बनाये,
क्योँकि ये पर्व कोई मामूली पर्व नहीं, है पर्व पुरुषार्थ का,
जगमग-जगमग दीपों से रूहानी झलकते दिव्यार्थ का |

देहरी का दीप हराते रहे सदा अंधियारे की घोर-कालिमा,
विजयी सदा रहे जगमग उज्जियारे की स्वर्ण-लालिमा,
दीपों से सीखें सभी समर्पण, रोशन, सामाजिक और मोहब्बत जैसे गुणों को,
क्योँकि वही तीर्थ है,
दीपावली मनाये समझ उसका सही अर्थ,
वरना फिर व्यर्थ है |

पावनता इस पर्व की, धर्म की अधर्म पे विजय की,
खुशियाली के आगमन की, पटाखों  बाजन की,
खुशियों को लुटाने की बजाये हम संजोय बैठे हैं ,
पहले मिला करते थे सब से मिठाइयां लेकर, आजकल केवल व्हाट्सप्प किये बैठे हैं  |

आज भी वो बीता दौर, मुझे याद आता है,
दोस्तों की अंजुमन में पटाखों संग अपना कहर मचाना, मुझे  याद आता है,
प्रेमिका को दीपों की संज्ञा से नवाजना, मुझे याद आता है,
प्रेमिका का हमारी उपमाओं पे फ़िदा होना और दोस्तों का हमसे जलना, मुझे याद आता है |

मोहब्बत की आपकी मधुर छाँव बस सदा के लिए हमे दे दीजिये,
आज तहे-दिल से हमारी तरफ से दीपावली की शुभकामनायें कबूल कर लीजिये,
अपने आशीष की रवानगी सदा नाचीजों पे यूँही बरसाइये,
आज के सुभ अवसर पर इस नाचीज़ की तरफ से दीपावली की शुभकामनाएं स्वीकार फरमाइए | 

Saturday 19 October 2019

Wo Ek Raat

वो एक रात भी क्या रात थी,
जब सिर्फ अपनी धड़कने ही मेरे साथ थी,
प्रश्न ज़िन्दगी का या ज़िन्दगी से अलविदा लेने का मुक़र्रर था,
जज्बा था अपनी सासों को चलाने और मौत से इंकार-ए-मंजर था |

समय को बदलता और बिगड़ता था मैं देख रहा,
हालत पे अपनी डॉक्टर्स को भर सक प्रयास करता था देख रहा,
आज सवाल इंसानी ज़िन्दगी को यम से बचाने का था,
मच्छर बड़े नहीं हुए अभी इंसान से यही दम ख़म दिखाने का था |

चिकित्सा विज्ञान की भाषा में मच्छर का कटा डेंगू कहलाता है,
लिवर को कर वायरस संक्रमित हेपेटाइटिस का शिकार बनाता है,
प्लेटलेट्स करता है कम, बुखार, उलटी, जोड़ो में दर्द से अपनी पहचान बताता है,
अच्छे खासे खेलते इंसान को बीमार कर अस्पताल पहुंचाता है |

ऊं तो हड्डी तोड़ बुख़ार की कोई दवा नहीं,
ये जंग हर शरीर को खुद को मजबूत बना ही है लड़नी,
ढेर सारा पानी और आराम का सहारा लेकर,
सुबह से शाम खुद की तंदुरुस्ती की चाह है रखनी  |

उस रात मैंने भी अपनी ज़िन्दगी को साथ छोड़ते देखा था,
बिगड़ती हालत  पे डॉक्टर्स को विचलित होते देखा था,
सब की नज़र ICU इंस्ट्रूमेंट्स के बदलते रीडिंग्स पे एकाग्र थी,
ब्लड रिपोर्ट थी जो गिरते प्लेटलेट्स की साक्षत्कार थी |

डॉक्टर्स की जुबानी कहूं तो आज की रात सरीर साथ दे जाये,
तो ये सक्श बच कल  की सुबह देख पायेगा,
वरना इस कम उम्र में हम सब को के कह अलविदा,
हमारे अस्पताल पे एक काला दाग छोड़ जायेगा |

सुधे को साध ना सकता है,
होनी को कोई टाल ना सकता है,
प्लेटलेट्स मिला नहीं कहीं,
अब अपरिवर्तनवादी दवा और दुआ ही इस सक्श को बचा सकता है |

चालू हुआ संगर्ष डॉक्टर्स ने अपनी अपरिवर्तनवादिता की गुहाई दी,
हमने अपनों को  कर याद ईश्वर से अपने बचे कर्मों को पूरा न कर पाने की दुहाई दी,
कहते है मन में कुछ करने की और दूसरों के लिए जीने का हुनर जिनके पास है,
मौत भले ले कुछ पलों के लिए उन्हें अपनी गोद में सुला, मगर अपने साथ ले जाने से करती इंकार है |

कुछ हमारे हौसले और अपनों के प्यार ने,
ईश्वर के दूजे रूप डॉक्टर्स के अचूक प्रयास ने,
ईश्वर की हुई अनुकम्पा और मिली हमे जीने की आस,
हमारे बीमार सरीर ने पकड़ मजबूती,  की जीने की एक और प्रयास |

हालत सुधरी तो सबको हमने हस्ता पाया,
जो सुबह सायद नहीं थी मुकर्रर, उसे भी हमने उगता पाया,
उस सुबह के बाद आज तक कई और सुबह को किया हमने प्रणाम,
सच कहूं तो आज भी मैं उस रात को भुला नहीं पाया |

मेरी एक मौत ने कई ज़िन्दगियों को तबाही का मंज़र था दिखाया,
सोचता हूं ये बीमारी तो पुरे देश को कर रही तबाह और हममें से कोई क्योँ कुछ न कर पाया,
वक़्त की गुहार है हम जागरूक होकर अपने समाज और देश को इस बीमारी से बचाएं,
जमा पानी के स्रोतों को कर साफ़, आओ मिलकर अनेकों ज़िंदगियाँ बचाएं | 

Saturday 21 October 2017

Kalpana Ko Apni Aakaar Kaise Duin

कस्तियाँ समुंदर में सफ़र, अपना तय तो कर जाती हैं ,
कुछ मुसाफिरों को किनारा, तो कुछ को अंजानो से मिला जाती हैं ,
पर सफ़र के इस दौर में दिखा हर वो चेहरा, क्या याद रह जाता है ,
कइयों को अपना और कइयों के अपने तो हम बन जाते हैं ,
पर कोई एक चेहरा जो अपनेपन की दिला दे याद,
वो क्या हर मुसाफिर के मुकाम में आता है ?

उसका दीदार हो जाये बस इसी बात की कल्पना किया करते थे ,
आज ये आलम है की कल्पनाओ में भी उसका दीदार ही किया करते हैं ,
जो देख लूं उसे हो जायेंगे मेरे नैन तृप्त , इस बात पे विश्वास कैसे करुं ,
सवाल तो वही है आज तलाक जहाँ में, की कल्पना को अपनी आकार कैसे दूं |

ग़ौरतलब फरमाए ज़माना की दिल के मेल से बड़ी कोई मालकियत नहीं ,
दिल-ए -आरज़ू हो अगर पाने की निःस्वार्थ साथ , तो क़ायनात करे कोई हिमाक़त ऐसी गुंजाईश नहीं ,
कई बार पाने की परिभाषा समझते समझते हम किसी को गवां बैठते हैं ,
और कई दफा मिले हुए राही को ही तलाशते पूरी ज़िन्दगी निकाल देते हैं | 

गुलाबों की हिफ़ाज़त हमने माली और भवरों दोनों को करते देखा है,
दोनों के जहन में अलग अलग मोहब्बत को महसूस करते हमने देखा है,
माली जहां जल्द से जल्द उस गुलाब को खुद से अलग करने की फिराक में रहता है,
वही भवरा खुद को गुलाब के भीतर समाने की ज़िद्द लिए बैठा है ,
मोहब्बत दोनों की देख - गुलाब भी खुद से यही पूछे की किसकी मोहब्बत पे विश्वास करुं ,
मेरी तरह गुलाब भी यही पूछे सवाल , की कल्पना को अपनी आकार कैसे दूं |


एक गुलाब हमे भी हुआ नसीब तो सोचा माली बनूं या भवरा ,
स्वार्थ के लिए कर दूँ खुद से जुदा या स्वार्थ के लिए समां जाऊं उसमें पूरा ,
कल्पना की तो निस्वार्थ काटें बनना ही गवारा हुआ ,
खुदी को भुला की रखवाली, तो कुछ तो गुलाब का साथ नसीब हुआ |


खुद को भुला अगर की हो किसी की सच्चे दिल से हिफाज़त ,
तो भले हो वो कांटा पर गुलाब के संग रहने की मिलती उसी को है इज़्ज़ाज़त ,
गुलाब के दिल की बात अक्सर काटें ही समझा करते हैं ,
गुलाब दिल-ऐ-बयान करने के लिए किसी माली या भौरों को नहीं बुलाता |

काटों के आकार की कल्पना किसी ने कल्पना में भी ना की होगी,
काटों की चुभन की मिठास को समझने की गुफ़तगू किसी ने ना की होगी,
कल्पना तो है की समझूं काटों के निस्वार्थ आकार को,
पर सवाल तो आज भी वही है , की कल्पना को अपनी आकार कैसे दूं | 

Sunday 11 June 2017

Kuch Bhulne Kuch Bhulane Ki Khushi

कशिश थी ज़माने की दूरिऑन मुझे हिरासत में मिली,
सोचा बहुत की क्या थी गलती जो तन्हाईयाँ मुझे ही मिली,
कई बार किसी की इन्तेहाँ चाहत दूरियां बढ़ा जाती हैं,
कोशिश थी मिलन की मगर ये किस्मत दूरियां दे जाती हैं |


गम इस बात का नहीं की तन्हाई को मैंने है महसूस किया,
मोहब्बत ही की इतनी की हर पल उसे याद किया,
जरुरत उसकी भी ना पड़ी क्योँकि मोहब्बत मेरी निस्वार्थ थी,
जब तक थी उसकी ख़ुशी तब तक ही वो मेरे साथ थी |


पलों को जीने की वकालत तो सभी किया करते हैं,
हर पल लेता है अपना इन्तेहाँ ये कोई भी नहीं कहते हैं,
दिल हो साफ़ और नियत में अगर झलक जाये दीवानगी,
तो ऐसी कोई मंजिल नहीं जो हो न सके हासिल कभी |


खुद की तन्हाई से लड़ के मई हंस तो रहा था,
अपने ग़मों को छुपा के मैं दुनिया को हंसा तो रहा था,
पर वही कम्भख्त पल फिर से इतिहास दोहरा गए,
जो मुझे भुला बैठे थे कम्भख्त उससे वापस भेंट और उसकी याद दिला गए |


दिल को अभी मैंने अपने समझाया ही था,
तमन्ना पाने में अभी देर है ये समझाया ही था,
मगर ये पल का इम्तेहान फिर एक बार इम्तेहान ले गया,
जिसे कर रहा था याद कर भुलाने की कोशिश, उसकी याद फिर से दिला गया |


दुनिया किस मोड़ पे किस से करा जाये मुलाक़ात ये कहना नामुमकिन है,
कभी मिले अनजान तो कभी हमसफ़र मगर सही तरीके से पहचानना मुश्किल है,
क्योँ किसी की याद उसकी मौजूदगी जाता जाती है,
सायद ये उसे पाने की है चाहत जो उसके ठुकरा देने के बाद भी उसकी याद दिला जाती है |


अपनी मंजिल को कभी ना दुनिया के प्रहार से भूलने देना,
अगर ले ये मंजिल परीक्षा तो मुस्कुरा के उसको अपने लड़ने की ताकत की चेतना देना,
कभी भी किसी के चाहने से किसी की हार नहीं होती,
हालातों से अगर खुद मान ली इंसान ने हार तो सब कुछ पा लेने के बाद भी मन की जीत नहीं होती |

Monday 15 August 2016

Happy Independence Day 2016

देस की स्वतत्रंता को आओ हम अपने उड़ान की परिकाष्ठा बनाये,
जो देख नहीं पाई दुनिया हम से आओ वो आज दुनिया को दिखाएँ,
स्वतत्रंता दिवस के इस पावन दिवस पे आओ अपने विचारों की स्वतत्रंता को सुद्रुढ बनाये,
पुरे विश्व में अपने भारतवर्ष की तररक्की का परचम फैलाएं ।

देश को प्रगति की राह अब हर देशवासी को दिखानी होगी,
अलग अलग हो भले प्रयास पर हर प्रयास को अपनी सम्पूर्णता दिलानी होगी,
हर दिल में बस रहे अपने देश को विश्वप्रियता दिलानी होगी,
मेरा देश से हमारे देश की संज्ञा भारतवर्ष को दिलानी होगी ।

क्योँ न करें आगाज-ए-ऐलान आज ताकि हो सके हर कोने कोने में स्त्री का सम्मान,
क्योँ न ख़त्म करें नफरत ताकि मुश्किल हो पहचानना कौन है हिन्दू और कौन मुसलमान,
क्यों न भ्रस्टाचार को ओढ़ाएं हम ईमानदारी की चादर,
इंसान करे इंसान का सम्मान और छोटे बड़े सबका हो आदर ।

मुक्कमल है ईमान तभी तो हर हिंदुस्तानी रखता है वतन पे ईमान,
देश की हो बात तो हर हिंदुस्तानी रखता है हथेली पे जान,
पर आज देश के लिए मरने से ज्यादा जीने की जरुरत है आन पड़ी,
खड़ा है ससक्त भारत ध्यान रहे दुश्मनो और आतंकवादियों,
तुम्हे हर बार की तरह मुह की है खानी पड़ी ।

आपसी भाईचारे और अपनेपन को तवज्जु और हमे दिलानी होगी,
अपने फायदे से पहले देश को प्राथमिकता हमे अपने दिलों में लानी होगी,
जिस तिरंगे को कफ़न बना गौरवान्वित कर गए वो पवित्र दिलेर,
उन दिलेरों की कुर्बानी को सदा अपने दिलों में सम्मान दिलानी होगी ।

तिरंगे की शान का नशा हर दिल पे छाये रहे,
भारत माँ की रक्षा के लिए जान देने का गुरूर हर दिल में के छाये रहे,
हिंदुस्तान का परचम हर देशवासी ऊन्ही लहराते रहे,
विश्व स्तर पे हिंदुस्तान का नशा हर दिल पे छाये रहे । 

Sunday 1 May 2016

Majdoor

जो मजूरी के लिए दूर दूर तक भटके वही मजदूर है कहलाता,
जो अपनी मेहनत और लगन से जीवन चलाये वही मजदूर है कहलाता,
जो अपने  सपनों को दिल में संजोए अग्रसर है वही मजदूर है कहलाता,
जो  परिश्रम और करम की मिसाल बना वही मजदूर है कहलाता ।

भरा है ये समाज मजदूरों के वजूद से,
महज स्तर अलग है मजदूरी करने के तरीके से,
हर कोई यहाँ मजदूरी ही तो कर रहा,
गरीब आमिर बनना चाह रहा और आमिर और आमिर बनना चाह रहा ।

हर कोई यहाँ भाग रहा अपने  सपनों को तररकी के साँचे में पिरोने में,
तररकी की ख़ुशी को महसूस कर खुद को सबसे अलग दिखाने में,
हर कोई यहाँ सबसे ऊंचाई की शिखर को पाने के लिए है जी रहा,
अपनों को और खुद को भुला, खुद को झोंके जा रहा ।

देश  की प्रगति भी इन्ही मजदूरों के करम से निर्धारित होगी,
मजदूर का स्तर कोई भी हो पर परिश्रम और लगन अपनी परिकाष्ठा पे होगी,
देश खड़ा है अनगिनत मजदूरों के करम के निर्धारित परिणामों से,
मजदूरों ने भी सींचा है देश को अपनी मेहनत के पसीने से ।

मजदूर की ख़ुशी उसके परिश्रम से निर्धारित है होती,
मजदूर की इज़्ज़त उसके करम से प्रफुल्लित है होती,
मजदूर लगा है खुद के साथ देश को एक स्वाभिमान दिलाने में,
खुदी हो खुदमे तो झुकती है दुनिया ये सारे जहाँ को दिखाने में ।

आओ आज मिलकर हम समाज के शिल्पकारों को करें नमन,
खुद बने मजदूर और सिद्धांतों में हो हमारे परिश्रम और लगन,
देश की प्रगति में एक अनोखी भागीदारी हमारी भी हो,
मजदूरों से म्हणत से खड़े इस देश की प्रज्वलित चर्चा पुरे संसार में हो । 

Dil Le Gayi

समुन्दर को नदियों की संज्ञा चुराते देखा है,
रेगिस्तान को पैरों के निशान को खुद में समाते देखा है,
पर कोई कैसे किसी के दिल को है चुरा सकता,
जीने के लिए जरुरी है दिल, और उसी को खुद से चुराते देखा है । 

उनकी कशिश ने ढाया खुश अजब ही कहर,
हमे उनका बना ले गए दिल हमारा फैलाते हुए मोहब्बत की लहर,
दिल को जीतना किसी का इतना आसान नहीं,
और जीत ले कोई तो समझो उससे जादा तुम्हारे लिए कोई खास नहीं । 

जीवन की डोर बंधी ही है मोहब्बत के संवेदनशील तार से,
जिसे जितना सिचो उतनी मजबूती आती है प्यार से,
खुद और खुदी के लिए हर इंसान यहाँ जीया जा रहा,
अंत में खुद को ही भुला खुद से ही दूर होते जा रहा । 

क्या मायने है जीवन के जीने के ये हम सोच नहीं पाते,
जो अपने है उन्हें हम समझ नहीं पाते,
झोंक देते है खुद को अंजानो को खुश करने की होड़ में,
लापरवाह बनते है उनके लिए जो चूक नहीं रहे हमपे प्यार लुटाने में । 

दिम्माग को दिल से सदा ही उम्दा तववजु दी है ज़माने ने,
दिल में बसे है जो उन्हें भुला लगा है दिमाग तररकी को पाने में,
पर कैसे पहचानू की कौन है जो दिल में वास करती है,
मुझसे मेरा दिल ही चुरा चुकी और मुझे पता भी नहीं लगने देती है । 


दिल लेने वाली सदा निस्वार्थ मोहब्बत की मूरत होगी,
खुद की ख़ुशी को रख परे आपके दिल की खुशी की फ़िक्र में होगी,
आपके लापरवाह रवैये को भी भुला दो दिल नहीं कर रहा एक बार भी उफ़,
वही है मेरे दोस्त तुम्हारी सच्ची मोहब्बत - ये सच है ना समझना इसे कोई ब्लफ । 

Happy Diwali 2019

दिपक की जगमगाहट आपके पुरे आँगन को उज्जियाये, रोशन करे ज़िंदगानी और खुशनुमा सा बनाये, क्योँकि ये पर्व कोई मामूली पर्व नहीं, है पर्व पुरुषार...