इंसान ने मोहब्बत के कई रूप दिखाए हैं,
कहीं दिल्लगी तो कहीं क़ुरबानी के नग्मे सजाए हैं,
फिर इस मोहब्बत के होते क्योँ किसी का दिल है छूट जाता,
भरी महफ़िल में भी अकेलेपन को महसूस करते टूट है जाता ।
सवाल-ए-दिल मेरा कर गया मुझसे एक तूफानी गुफ्तगू,
पूछ गया क्योँ किसी ने ना सोची उस टूटे दिल की आरजू,
आज नाम आँखों से हर टूटे दिल को खुश करने की गुहार है,
आओ मिल करें दिल से दिल की बातें चला कुछ ऐसा बहार है ।
दिल की मलकीयत किसी की गुलाम नहीं होती,
और दिल में जबरदस्ती घुसने की किसी की औकात नहीं होती,
दिल को समझ कर ही उसके लिए जिया है जा सकता,
और जीते हुए उसके लिए ही उसमे अपना वजूद है बनाया जा सकता ।
लकिन ज़िन्दगी जीना कोई मज़ाक नहीं,
किसी और की ख़ुशी के लिए जीना सबके बस की बात नहीं,
अपने ग़मों के ऊपर दूसरे की ख़ुशी को तवजू देनी होती है,
कई बार खुद को भुला दूसरे के चेहरे की मुस्कराहट बननी पड़ती है ।
दिल से निकली ख़ुशी रोम रोम को प्रोत्साहित है कर जाती,
तकलऊफ चाहे जितनी हो पर अंत में ख़ुशी है दे जाती,
आप की पहचान अगर किसी और के चेहरे की मुस्कराहट हो,
तो सोचो ज़माने में ज़माने का इससे बड़ा तोहफा और क्या हो ।
दिल को समझ उसके हर धड़कन पे अपना वजूद चाहते हैं,
ग़मों में झोंकर खुद को भी उसके लिए हर ख़ुशी लाना चाहते हैं,
जो मुक्कद्दर ने छीना उससे वो सब भुला नए लम्हे देना चाहते हैं,
और निस्वार्थ भाव से उनके जीवन में जीने की नए वजह लाना चाहते हैं ।
कहीं दिल्लगी तो कहीं क़ुरबानी के नग्मे सजाए हैं,
फिर इस मोहब्बत के होते क्योँ किसी का दिल है छूट जाता,
भरी महफ़िल में भी अकेलेपन को महसूस करते टूट है जाता ।
सवाल-ए-दिल मेरा कर गया मुझसे एक तूफानी गुफ्तगू,
पूछ गया क्योँ किसी ने ना सोची उस टूटे दिल की आरजू,
आज नाम आँखों से हर टूटे दिल को खुश करने की गुहार है,
आओ मिल करें दिल से दिल की बातें चला कुछ ऐसा बहार है ।
दिल की मलकीयत किसी की गुलाम नहीं होती,
और दिल में जबरदस्ती घुसने की किसी की औकात नहीं होती,
दिल को समझ कर ही उसके लिए जिया है जा सकता,
और जीते हुए उसके लिए ही उसमे अपना वजूद है बनाया जा सकता ।
लकिन ज़िन्दगी जीना कोई मज़ाक नहीं,
किसी और की ख़ुशी के लिए जीना सबके बस की बात नहीं,
अपने ग़मों के ऊपर दूसरे की ख़ुशी को तवजू देनी होती है,
कई बार खुद को भुला दूसरे के चेहरे की मुस्कराहट बननी पड़ती है ।
दिल से निकली ख़ुशी रोम रोम को प्रोत्साहित है कर जाती,
तकलऊफ चाहे जितनी हो पर अंत में ख़ुशी है दे जाती,
आप की पहचान अगर किसी और के चेहरे की मुस्कराहट हो,
तो सोचो ज़माने में ज़माने का इससे बड़ा तोहफा और क्या हो ।
दिल को समझ उसके हर धड़कन पे अपना वजूद चाहते हैं,
ग़मों में झोंकर खुद को भी उसके लिए हर ख़ुशी लाना चाहते हैं,
जो मुक्कद्दर ने छीना उससे वो सब भुला नए लम्हे देना चाहते हैं,
और निस्वार्थ भाव से उनके जीवन में जीने की नए वजह लाना चाहते हैं ।
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