समुन्दर को नदियों की संज्ञा चुराते देखा है,
रेगिस्तान को पैरों के निशान को खुद में समाते देखा है,
पर कोई कैसे किसी के दिल को है चुरा सकता,
जीने के लिए जरुरी है दिल, और उसी को खुद से चुराते देखा है ।
उनकी कशिश ने ढाया खुश अजब ही कहर,
हमे उनका बना ले गए दिल हमारा फैलाते हुए मोहब्बत की लहर,
दिल को जीतना किसी का इतना आसान नहीं,
और जीत ले कोई तो समझो उससे जादा तुम्हारे लिए कोई खास नहीं ।
जीवन की डोर बंधी ही है मोहब्बत के संवेदनशील तार से,
जिसे जितना सिचो उतनी मजबूती आती है प्यार से,
खुद और खुदी के लिए हर इंसान यहाँ जीया जा रहा,
अंत में खुद को ही भुला खुद से ही दूर होते जा रहा ।
क्या मायने है जीवन के जीने के ये हम सोच नहीं पाते,
जो अपने है उन्हें हम समझ नहीं पाते,
झोंक देते है खुद को अंजानो को खुश करने की होड़ में,
लापरवाह बनते है उनके लिए जो चूक नहीं रहे हमपे प्यार लुटाने में ।
दिम्माग को दिल से सदा ही उम्दा तववजु दी है ज़माने ने,
दिल में बसे है जो उन्हें भुला लगा है दिमाग तररकी को पाने में,
पर कैसे पहचानू की कौन है जो दिल में वास करती है,
मुझसे मेरा दिल ही चुरा चुकी और मुझे पता भी नहीं लगने देती है ।
दिल लेने वाली सदा निस्वार्थ मोहब्बत की मूरत होगी,
खुद की ख़ुशी को रख परे आपके दिल की खुशी की फ़िक्र में होगी,
आपके लापरवाह रवैये को भी भुला दो दिल नहीं कर रहा एक बार भी उफ़,
वही है मेरे दोस्त तुम्हारी सच्ची मोहब्बत - ये सच है ना समझना इसे कोई ब्लफ ।
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