कसमों कस में थी ज़िन्दगी तो सोचा रब से फ़रियाद करूँ,
कोई ना था साथ तो सोचा किस को याद करूँ,
रब ने सुनी हमारी भी भले कुछ इंतेज़ार के बाद ही सही,
मिलाया एक अनोखे दोस्त से हमे जिसकी दोस्ती लगी हमे बहुत सही ।
दोस्ती की परिभाषा दोस्ती करने के बाद ही समझ है आती,
दोस्त हो खास तो ज़िन्दगी बदल है जाती,
दोस्ती का तोहफा हर किसी को नहीं नवाजते खुदा,
ये तो कर्मों के फलस्वरूप मिलाते हैं या करते है जुदा ।
अंजुमन-ए-महफ़िल में किसी अपने का साथ कुछ खास पल बनाता है,
कोई मिल जाये समझने वाला तो सुनहरे साथ को साक्षत्कार कराता है,
इस मायावी दुनिया में जहाँ अपने साथ छोड़ जाते हैं,
वही ये मिले अपने दोस्त ही हैं जो काम आते हैं ।
दोस्त में कभी दिखे खुदा तो कभी दीखता रब है,
दोस्त मिल जाये जहाँ वही बनता स्वर्ग है,
दोस्त के समक्ष दिल खोल देने में ही जीवन का सार है,
दोस्त ना हो तो जीवन बर्बाद है।
कोई पल नहीं होता जब दोस्त से आपका संगम निर्धारित हो,
वो पल बड़ा खास होता है जब दोस्त से आपका मिलन निर्धारित हो,
दोस्त आपपे जान छिड़के इससे बड़ी कोई सम्पति नहीं,
आप दोस्त के लिए कुछ कर गुजरे इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं ।
दोस्ती को हमने जीवन की उन्मुक्त परिकाष्ठा माना है,
दोस्त के संग बीते जीवन इसी सिद्धांत को सबसे उतकृष्ट माना है,
दोस्ती की परिभाषा दोस्ती के अज़ीज रिश्ते को निभा कर ही है समझी जा सकती,
कितना ही बुरा हो समय दोस्त के संग दोस्ती निभा ज़िन्दगी को बेहतर है बनाई जा सकती
कोई ना था साथ तो सोचा किस को याद करूँ,
रब ने सुनी हमारी भी भले कुछ इंतेज़ार के बाद ही सही,
मिलाया एक अनोखे दोस्त से हमे जिसकी दोस्ती लगी हमे बहुत सही ।
दोस्ती की परिभाषा दोस्ती करने के बाद ही समझ है आती,
दोस्त हो खास तो ज़िन्दगी बदल है जाती,
दोस्ती का तोहफा हर किसी को नहीं नवाजते खुदा,
ये तो कर्मों के फलस्वरूप मिलाते हैं या करते है जुदा ।
अंजुमन-ए-महफ़िल में किसी अपने का साथ कुछ खास पल बनाता है,
कोई मिल जाये समझने वाला तो सुनहरे साथ को साक्षत्कार कराता है,
इस मायावी दुनिया में जहाँ अपने साथ छोड़ जाते हैं,
वही ये मिले अपने दोस्त ही हैं जो काम आते हैं ।
दोस्त में कभी दिखे खुदा तो कभी दीखता रब है,
दोस्त मिल जाये जहाँ वही बनता स्वर्ग है,
दोस्त के समक्ष दिल खोल देने में ही जीवन का सार है,
दोस्त ना हो तो जीवन बर्बाद है।
कोई पल नहीं होता जब दोस्त से आपका संगम निर्धारित हो,
वो पल बड़ा खास होता है जब दोस्त से आपका मिलन निर्धारित हो,
दोस्त आपपे जान छिड़के इससे बड़ी कोई सम्पति नहीं,
आप दोस्त के लिए कुछ कर गुजरे इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं ।
दोस्ती को हमने जीवन की उन्मुक्त परिकाष्ठा माना है,
दोस्त के संग बीते जीवन इसी सिद्धांत को सबसे उतकृष्ट माना है,
दोस्ती की परिभाषा दोस्ती के अज़ीज रिश्ते को निभा कर ही है समझी जा सकती,
कितना ही बुरा हो समय दोस्त के संग दोस्ती निभा ज़िन्दगी को बेहतर है बनाई जा सकती