Sunday 27 April 2014

Matrutw

जो पहला सब्द निकला बच्चे से, उसने मातृत्व को जन्म दिया,
माँ के आँचल टेल, हर बच्चे ने मातृत्व को नमन किया,
बच्चे के लिए उसकी माँ , ररब का वरदान बनी,
और माँ के लिए उसका बच्चा , उसकी  संतान बनी।

माँ का रूप तो खुद ईश्वर को वंदनीय है,
माँ के चरण , तो हृदय - पूर्ण स्पर्शनिए है,
माँ ममता का अथाह महासागर है,
जिसमे भरा भावनाओं का गागर है।

नारी का उत्कृष्ट रूप, मातृत्व की पहचान बना,
जिससे प्रफुलित हुई हर नारी, और जो नारी का अभिमान बना,
बच्चों को माँ से परोपकार और सत्कार का ज्ञान मिला,
बच्चों पे  आने वाले संकटों को माँ रूपी पहाड़ मिला।

माँ अपने दुखों को छीपा , ममता की वर्षा है करती,
बच्चों का पेट भरने के लिए , वो कभी-कभी खुद भूकी है रहती,
बच्चों की ख़ुशी में वो अपनी ख़ुशी है ढूंढा करती,
अपने अरमानों और आकांक्षाओं को बच्चों के लिए, बलिदान है देती।

माँ के जीवन को आओ ह्रदय से करें नमन,
जो जी सिर्फ अपने बच्चों के लिए, उसे खुश रखने का करें जतन,
जिस माँ ने दिए बच्चों के लिए बलिदान,
आओ  उन माओं के लिए वरदान बने,
अपनी-अपनी माँ के चेहरे पे लाओ ख़ुशी,
और मिलकर हमसब मातृत्व का अभिमान बने।

Pyar Ki Parikashtha

प्यार की परिभाषा को समझते - समझते,
ना जाने कब मैं खुद प्यार को परिभासित कर गया ,
मुझे तो पता ही नहीं था की क्या प्यार,
ना जाने मैं कैसे किसी से प्यार कर गया।

उसे देखा नहीं आज तक , ना कभी हूं उससे मिला,
बस की उससे बात , और न हुआ  हमारे बीच मुलाक़ातों का सिलसिला ,
बातों -बातों में ही न जाने कैसे उसकी सच्चाई परख गया मैं ,
उसी सच्चाई आधार पे ना जाने कैसे प्यार कर गया मैं।

उसकी आवाज़ में एक मनभावन मिठास थी,
उसके दिल में मेरी फिक्र नुमाई एहसास थी,
वो भी मुझे बिना देखे , बिना मिले , समर्पण को तैयार थी,
पर क्या उसे भी हो गया है मुझसे प्यार, इस बात से वो भी अनजान थी।

उसे प्यार से अनजान देख, मैं सिहर उठा था,
मेरे प्रति वो पड़ रही थी असमंजस में, इसे देख में कहर उठा था,
में तो सदा उसे खुश देखना था चाहता ,
मेरा प्यार उसके ख़ुशी के आड़े आये, ऐसे बंधन में नहीं था उसे बांधना चाहता।

उस दिन से लेकर आज-तक , उससे में अछि दोस्ती  हूं निभा रहा ,
उसके दर्द में खुदको, और अपनी ख़ुशी में उसको , सरीक किये जा रहा,
वो खुश है की उसे मेरे जैसा एक अनोखा दोस्त मिला,
जिससे कहती है वो की उसका दिल मिला।

अपने प्यार को दिल में दबाये , में उसे खुश रखता हूँ ,
दोस्त हूँ , दिल में है भले प्यार, पर दोस्ती की मर्यादा का पालन करता हूँ,
प्यार केवल किसी को पा लेने की सौगात नहीं,
प्यार की परिकाष्ठा को परिभासित करने की भी कोई सीमा नहीं।  

Thursday 24 April 2014

Appraisal Se Pyar

ये अप्रैल का महीना दिलों को जंझोड़ देता है,
कई दिलों को करता है खुश तो कई दिलो तोङ देता है,
यू  तो हर कोइ कर रहा है अपने दिल से काम,
दिन को चैन नहीं और ना रातोँ को आराम।

ये अप्रैज़ल भी माशुका कि भुमीका निभाता है,
इसे पटाने  लिये इसकी सहेली "मैनेजर" को पटाना पड़ जाता है,
मैनेजर के खुश हुए बिना ये आशिक़ी अपने अंजाम पे नहीं होती,
और काम जितना भी करलो अगर मैनेजर खुश नहीं तो हर किसी कि किस्मत है रोति।

साल भर कि कड़ी मेहनत इसी अप्रैल के महिने मे रँग लाती,
किसी को रंक से राजा है बनातीं तो किसि का राजपॉट है छिन के जातीं,
अप्रैज़ल कि मोहब्बत हर एम्प्लोयी आपने दिल मे रखता है,
और इसी प्यार मे साल भर अपने बॉस कि यातना संहता है।

पर मोहब्बत मे अक्सर माशुका का प्यार नहीं मिला करता,
लेकिन हर आशिक़ देवदास भी नहीं बना करता,
कर्मों को जो देते है अपने जीवन मे प्राथमिकता,
उन्हें इस अप्रैज़ल से ना मिलन का दर्द भी तोड़ नहीं पाता।

आओ अपने कर्मों को हम अपना गौरव बनाये,
कर्म करें और किसी सामने अपना मस्तिक्ष न झुकाएं,
अपने कर्मों कि परिकाष्ठा को ऎसी उड़ान दें,
की हर मैनेजर खुद हुमैरा संगम हमारी पयारे अप्रैज़ल से करवाऐ। 

  

Happy Diwali 2019

दिपक की जगमगाहट आपके पुरे आँगन को उज्जियाये, रोशन करे ज़िंदगानी और खुशनुमा सा बनाये, क्योँकि ये पर्व कोई मामूली पर्व नहीं, है पर्व पुरुषार...